डॉ०रामबली मिश्र विरचित वर्णिक छंद
डॉ०रामबली मिश्र विरचित वर्णिक छंद
मापनी- 211,211,211,2
संगम हो भल मानुष का।
संग मिले न अमानुष का।।
जीभ प्रणाम करे सबको।
भाव सुगन्ध मिले जग को।।।
सन्त मिलें शिव राम कहें।
ओम दिखें मनमस्त रहें।।
बात करें दिल खोल सदा।
मोहक सृष्टि रचें सुखदा।।
उत्तम कोटि बने धरती।
सत्य कहे सगरी जगती।।
मोहक रूप विचार रहे।
मानव अमृत बात कहे।।
आदत में शिवराम रहें।
कर्म सदा घनश्याम कहें।।
मानव ज्योति जगे जग में।
दिव्य सुचाल रहे पग में।।
Dilawar Singh
06-Jan-2024 05:37 PM
अति सुन्दर अभिव्यक्ति👌
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Renu
23-Jan-2023 04:52 PM
👍👍🌺
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अदिति झा
21-Jan-2023 10:41 PM
Nice 👍🏼
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